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राजनीतिक दल अपने घोषणा पत्र में करे देश के नौनिहालों की चिंता

भोपाल:07 अक्‍टूबर। बच्चों के अधिकारों के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध चाइल्ड राइट्स आब्जर्वेटरी मध्यप्रदेश और यूनिसेफ मध्यप्रदेश ने राजनीतिक दलों के अध्यक्षों को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि वे नवम्बर 2020 में प्रदेश में हो रहे उपचुनावों के लिए जारी होने वाले घोषणा पत्र में बच्चों के शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा के मुद्दों को विशेष तौर पर शामिल करें।

संस्‍थाओं ने बच्चों के मुद्दों को शामिल करते हुए तैयार किया गया घोषणा पत्र भी राजनीतिक दलों को भेजा है। यह घोषणा पत्र बच्चों, पालकों, शिक्षकों, विधायकों, पंचायत प्रतिनिधियों और शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रहे सोशल एक्टिविस्टस से व्यापक विचार-विमर्श कर बनाया गया है।

घोषणा पत्र में जिन महत्वपूर्ण बिन्दुओं को शामिल करने का आग्रह किया गया है, उनमें आने वाले समय में बच्चों से चर्चा कर वैकल्पिक अध्यापन की व्यवस्था करना है, क्योंकि बच्चों को ऑनलाईन पढाई समझ में नहीं आती है। ऑनलाईन पढाई के लिये बड़ी संख्या में बच्चों के पास स्मार्ट फोन एवं गांवों में इन्टरनेट की व्यवस्था नहीं है । घन्टों तक ऑन लाईन क्लासेस में पढ़ने से ऑखों में दर्द होता है और पढाई में परेशानी होती है। एजेन्डा में सभी स्कूलों को नियमित रूप से सेनेटाइज करने और बच्चों को मास्क उपलब्ध कराने की व्यवस्था शासन की ओर से  की जाने और स्कूलों में बाउन्ड्रीवाल, बिजली, पीने के पानी और लड़के-लड़कियों को अलग-अलग शौचालय और खेल सामग्री प्रदाय करना भी शामिल है।

प्रस्तुत किए गए घोषणा पत्र में बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर आ रही समस्याओं के निराकरण के लिए तत्काल काउन्सलिंग की व्यवस्था करने की मांग भी की गई है। इसके साथ कुपोषण, शिशु मृत्यु दर, बाल मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर की चुनौतियों से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने, बाल अपराधों पर नियंत्रण, बाल मजदूरी और बाल विवाह पर रोक लगाने का भी प्रस्ताव किया गया है। कोरोना काल में टीकाकरण कार्यक्रम और मध्याह्न भोजन कार्यक्रम पिछड़ गया है जिसके कारण छोटे बच्चों से लेकर स्कूल जाने वाले बच्चे प्रभावित हुए हैं। भविष्य में इन कार्यक्रमों को प्रभावशाली ढंग से संचालित किया जाये।

चाइल्ड राइट्स आब्जर्वेटरी मध्यप्रदेश की अध्‍यक्ष श्रीमती निर्मला बुच ने इस संबंध में राजनीतिक दलों को पत्र लिखकर अपेक्षा की है कि वे बच्चों से संबंधित इन मुद्दों को अपने चुनाव घोषणा पत्र में शामिल करें और बाद में इनके क्रियान्वयन पर जोर दें।(सप्रेस)

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