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निमाड़ में दंगो की राजनीतिक तपन कर सकती हैं कांग्रेस का नुकसान,कसरावद सीट पर यादव परिवार के लिए बढ़ी चुनौती

डॉ सन्तोष पाटीदार

इंदौर। खरगोन जिले की राजनीति में दबदबा रखने वाले कांग्रेस के अरुण यादव अपने इलाके में घिर गए है। उनके छोटे भाई और मौजूदा विधायक सचिन यादव को कसरावद सीट पर बीजेपी के आत्माराम पटेल से जूझना पड़ रहा है। पूर्व मंत्री रहे सचिन को पटेल से कड़ी चुनौती मिल रही है। पटेल बेहद सरल सुलभ जीवंत संपर्क वाले नेता है। इसका फायदा उन्हे मिला रहा है। गांवों में लाडली बहना और हिन्दुत्व कार्ड भी चल रहा है। संघ इस काम में ताकत से जुटा हुए है। बीजेपी नेता कांग्रेस में धनबल से अंदरुनी तोड़फोड़ का चुके ऐसी चर्चा रही। जिले की बीजेपी की गुटबाजी भी नियंत्रित बताई जा रही है। भाजपा की तरफ से टिकट के लिए पाटीदार समाज से जुड़े नेता जितेंद्र पाटीदार भी लगे हुए थे।उन्हें टिकट नहीं मिल पाया तो एइसा लगा था की पाटीदार समाज भाजपा से छिटक सकता है लेकिन भाजपा के रणनीतिकारो ने इस डेमेज को कंट्रोल कर लिया।

वही यादव परिवार की मुठ्ठी से राजनीतिक विरासत छूटती जा रही है। पहले जैसा दबदबा नही होने से सचिन यादव की मुश्किल बढ़ गई है। खरगोन में हुए दंगो की राजनीतिक तपन चुनाव को बीजेपी के पक्ष में ले जा सकती हैं। कसरावद और बालसमुम्द में अल्पसंख्यक वर्ग पर यादव परिवार की मेहरबानी भी नुकसान कर सकते हैं।यह सीट पहले की तरह कांग्रेस के लिए आसान नहीं है।

वही दूसरी प्रमुख सीट खरगोन की है। यहाँ बीजेपी के बालकृष्ण पाटीदार का पलड़ा भारी है। प्रत्याशी के साफ छवि का फायदा बीजेपी को मिल रहा है। दंगो के कारण वोट ध्रुवीकरण की उम्मीद बीजेपी को है। वही कांग्रेस ने मौजूदा विधायक रवि जोशी को मैदान में उतारा।जिनकी छवि मुद्दा बनी हुई है। कांग्रेस के एक साल के राज में उनकी भ्रष्ट अफसरों से करीबिया ओर मनमाने भ्रष्टाचार से जनता त्रस्त हो गई थी। कलेक्टर कार्यालय और बंगला पूरी तरह उनके नियंत्रण में था। इसलिए यह सीट भाजपा के पास जाती नजर आ रही हैं।जिले में कुल 6 सीट है। भीकनगांव, बड़वाह, भगवानपुरा ,महेश्वर, खरगोन और कसरावद। इनमे से आधी पर सीट पर बीजेपी का अपार हैंड बताया जा रहा है।

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