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मोरबी पुल त्रासदी की पहली बरसी, पीड़ित परिवारों के साथ खड़ा है अदाणी फाउंडेशन

रजनी खेतान

गुजरात। शिवम परमार और उनके माता-पिता राजकोट से मोरबी जा रहे थे, तभी मच्छू नदी पर बना सस्पेंशन ब्रिज ढह गया, जिससे सैकड़ों लोग मारे गए। देखते ही देखते मरने वालों की संख्या 135 के पार पहुंच गई। सौभाग्य से, शिवम बच गया लेकिन उसके माता-पिता की उस त्रासदी में जान चली गई जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। उस दिन शिवम समेत 20 बच्चे अनाथ हो गये।

खबर मिलते ही अदाणी फाउंडेशन की टीम दुर्घटनास्थल पर पहुंची और तत्काल राहत और सहायता प्रदान की। इस कठिन समय में टीम प्रभावित परिवारों के साथ खड़ी रही। उन बच्चों को देखकर हृदय विदारक हो गया जिन्होंने अपने माता-पिता को खो दिया था। फाउंडेशन ने अनाथ बच्चों के लिए 5 करोड़ रुपये की सहायता की घोषणा की जिससे प्रत्येक बच्चे के नाम पर 25 लाख रुपये की फिक्स्ड डिपोसिट (बैंक मे जमा राशि) कर दी गयी ।

शिवम के दादाजी उस दुर्भाग्यपूर्ण दिन को याद करते हुए कहते हैं, “अदाणी फाउंडेशन हमारा रक्षक बन गया क्योंकि उन्होंने दुख के समय में सांत्वना और मदद की।” जब वह अपने 4 साल के पोते को पास में खेलता हुआ देखता है तो वह अपने आंसू पोंछता है। कक्षा 4 में पढ़ने वाले शिवम का सपना पुलिसकर्मी बनकर देश की सेवा करने का है.

गर्भवती मुमताजबेन अपने परिवार के साथ पुल पर थीं लेकिन बीमारी की शिकायत के बाद उन्होंने घर वापस जाने का फैसला किया। वह घर लौट रही थी तभी उसे बच्चों की चीख सुनाई दी। उसने पीछे मुड़कर देखा तो पुल ढह गया। मुमताजबेन बेहोश हो गईं. जब उसे होश आया तो उसे पता चला कि वह अपने पति और दो बेटियों को खो चुकी है. फाउंडेशन ने उसके आंसू पोंछे और उस वक्त से ही अजन्मे बच्चे की जिम्मेदारी ली। 25 लाख रुपये की फिक्स्ड डिपॉजिट से वह अपने बच्चे अरहान की देखभाल कर सकती हैं, जो अब लगभग एक साल का हो गया है।
त्रासदी की पहली बरसी पर अपनी जान गंवाने वालों को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए, अदाणी फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक, वसंत गढ़वी कहते हैं, “फाउंडेशन की टीम को पहुंचने पर मिली मदद और समर्थन के लिए हम सरकार और इस कार्य संबंधित अधिकारियों के आभारी हैं”।
अडाणी फाउंडेशन की तरफ से पहुंचाई जा रही मदद इन बच्चों के भविष्य को भी संवारने का काम कर रही है। राहत प्रयासों की देखरेख करने वाले अधिकारियों के परामर्श से, अदाणी फाउंडेशन ने 20 बच्चों के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट में एक मुश्त धनराशि जमा करा दी है ताकि मूल राशि बरकरार रहे, और ब्याज से उनकी जरूरतें पूरी होती रहें। फाउंडेशन की तरफ से पहुंचाई जा रही मदद इन बच्चों के भविष्य को भी संवारने का काम कर रही है।
मोरबी से ओडिशा के बालासोर रेल त्रासदी तक, अदाणी फाउंडेशन की टीम सहायता पाने वाले सभी बच्चों और उनके अभिभावकों से लगातार संपर्क में रहती है ।ओडिशा के बालासोर में हुई ट्रेन दुर्घटना के बाद, अदाणी समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी ने घोषणा करते हुए कहा “अदाणी फाउंडेशन उन बच्चों की शिक्षा की जिम्मेदारी लेगा, जिन्होंने अपने माता-पिता को खो दिया है। अदाणी समूह का मानना है कि शिक्षा छोटे बच्चों, विशेष रूप से समाज के वंचित वर्गों के बच्चों के लिए एक समान अवसर सुनिश्चित करती है”।
यही कारण है कि शिक्षा उन प्रमुख क्षेत्रों में से एक है जिसमें अदाणी फाउंडेशन काफी काम करता है। फाउंडेशन की कोशिश रहती है कि बच्चों को कम से कम खर्च पर या निशुल्क बेहतरीन शिक्षा उपलब्ध कराई जाए। थ-साथ पूरे भारत में सब्सिडी वाले स्कूलों का भी चलाया जा रहा है। अदाणी विद्या मंदिर स्कूल छात्रों को न सिर्फ मुफ्त शिक्षा उपलब्ध कराते है बल्कि परिवहन सुविधाओं, स्वस्थ भोजन और यूनिफॉर्म जैसी मूलभूत सुविधाएं भी मुहैया कराईं जाती है।

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