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विंध्य में भाजपा ने कांग्रेस को दिया बड़ा झटका,पूर्व विधानसभा अध्यक्ष के पोते ने ली भाजपा की सदस्यता

राजेन्द्र पराशर 

भोपाल। चुनावी बेला में दल बदल के चल रहे सिलसिले के तहत आज भाजपा ने कांग्रेस को करारा झटका दिया है। विंध्य अंचल में सफेद शेर के नाम से पहचाने जाने वाले पूर्व विधानसभा अध्यक्ष स्वर्गीय श्रीनिवास तिवारी के पोते और कांग्रेस के पूर्व विधायक सुंदरलाल तिवारी के पुत्र सिद्धार्थ तिवारी ने आज कांग्रेस छोड़कर भाजपा की सदस्यता ले ली है। उनके साथ पन्ना जिले की गुन्नौर विधानसभा सीट से पूर्व विधायक रहे फुंदेलाल चौधरी भी भाजपा में शामिल हुए हैं।

कांग्रेस द्वारा प्रत्याशियों की पहली सूची जारी होने के साथ ही उठे बगावत के सुर अब थमने के बजाय तेज हो चले हैं। टिकट के दावेदार कई नेताओं ने दल-बदल का सिलसिला तेज कर दिया। इसके चलते आज कांग्रेस को बड़ा झटका उस वक्त लगा जब कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे पूर्व विधानसभा अध्यक्ष स्वर्गीय श्रीनिवास तिवारी के पोते ने नाराजगी के चलते भाजपा का दामन थाम लिया। सिद्धार्थ के साथ पन्ना जिले की गुन्नौर विधानसभा सीट से  पूर्व विधायक रहे फुंदेलाल चौधरी ने भी भाजपा की सदस्यता ले ली। दोनों को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वी डी शर्मा ने भाजपा की सदस्यता ली। माना जा रहा है कि भाजपा सिद्धार्थ को त्योंथर विधानसभा सीट से अपना प्रत्याशी बना सकती है।
गौरतलब है कि सिद्धार्थ तिवारी त्योंथर सीट से कांग्रेस की तरफ से टिकट मांग रहे थे, लेकिन कांग्रेस ने यहां से रमाशंकर सिंह पटेल को प्रत्याशी बनाया है। उन्होंने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ से भी मुलाकात कर अपनी मंशा जाहिर की थी, मगर कमलनाथ ने उन्हें त्योंथर के बजाय सिरमौर विधानसभा सीट से मैदान में उतारने का कहा था। ऐसे में सिद्धार्थ तिवारी ने बड़ा फैसला लिया है। वे पिछला लोकसभा चुनाव कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में लड़ चुके हैं, मगर इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
पहली भी बंटाधार, बाद में भी बंटाधार
इस अवसर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कांग्रेस में काम बंटे हुए हैं। गालियां खाने की पावर ऑफ अटॉर्नी भी दी गई है, इसका खुलासा खुद कमलनाथ ने किया है कि गाली खाने की पावर ऑफ अटॉर्नी उन्होंने दिग्विजय सिंह को दी है। उन्होंने पूछा कि ऐसा काम क्यों करते हो कि आपको गालियां खानी पड़ी? उन्होंने कहा कि  ऐसे ही सरकार चलाने की पावर ऑफ अटॉर्नी भी इन्होंने दिग्विजय सिंह को ही दे रखी थी, पहले भी बंटाधार हुआ और बाद में भी बंटाधार हो गया।

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