डॉ संतोष पाटीदार
इंदौर। कहते हैं जात न पूछो साधु की ……पूछ लीजिए ज्ञान …. लेकिन चाल , चरित्र , चेहरे से भ्रष्ट राजनीति के इस घोर कलयुग में नेता की जात पहले पूछी जाती है फिर उसे संवैधानिक पद से नवाजा जाता है । भारतीय जनता पार्टी का एक तरफा मैंडेट होने के बाद भी उसे जात-पात का सहारा लेना पड़ रहा है।
विरोधाभास यह भी है कि संघ परिवार भाजपा को सत्ता में लाने के लिए हिंदू समाज के एकीकरण और हिंदुत्व का एजेंडा चलता है । वही संगठन हिंदू समाज में जात-पात के आधार पर सत्ता के लिए समीकरण बनाता है । मध्य प्रदेश में इस समय सरकार जातिगत समीकरण के आधार पर बनाई गई है । आगामी लोकसभा चुनाव के लिए पिछड़ा वर्ग ब्राह्मण हरिजन आदिवासी आदि जातियों के आधार पर मुख्यमंत्री उपमुख्यमंत्री बनाए गए हैं । अब पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद पर किसी आदिवासी नेता को बैठाया जा सकता है । इसके अलावा मंत्री स्तर के पदों पर शेष जातियां और क्षेत्रवार समीकरण के हिसाब से विधायकों को मंत्री पद दिए जाएंगे । हाल फिलहाल पहले चरण में ठाकुर समुदाय से नरेंद्र सिंह तोमर को विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया है । ब्राह्मण समुदाय से राजेंद्र शुक्ला को और हरिजन वर्ग से जगदीश देवड़ा को उपमुख्यमंत्री बना दिया है । दूसरी और आदिवासी इलाकों से भाजपा को इस चुनाव में तागड़ी हार मिली है । लेकिन मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री पद पर किसी भी आदिवासी नेता को नहीं बैठाया । केंद्र के इस्पात मंत्री रहे फग्गन सिंह कुलस्ते को भी प्रदेश में आदिवासी सोशल इंजीनियरिंग के तहत लाया गया लेकिन वे विधानसभा चुनाव हार गए। बावजूद इसके उन्हें पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जैसे पद पर बैठाया जा सकत है । मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री पद के प्रबल और मजबूत नेता दौड़ से बाहर करवा दिए गए हैं । इन्हे शांत करने को हो सकता है प्रदेश अध्यक्ष और अन्य प्रमुख विभागों के बंटवारे में उनकी सलाह ली जाए ताकि उनकी नाराजगी को कम किया जा सके । साथ ही पार्टी में गुटीय संतुलन की कोशिश होगी ।इसलिए नाराज नेताओं को महत्व मिल सकता है।