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मोदी और शाह चुनाव के लिए बार-बार छत्तीसगढ़ आ रहे है, लेकिन मणिपुर नहीं जाते क्यों ?

देश का एक राज्य मणिपुर जल रहा है,प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को मणिपुर जाने की फुर्सत नहीं है।मणिपुर में डबल इंजन की सरकार है, वहां पर भुखमरी है महिलाओं की इज्जत सुरक्षित नहीं है, लेकिन केन्द्र सरकार नक्कारा बनी हुई है। छत्तीसगढ़ में इनके पास मुद्दे नहीं है। भाजपा के महत्वपूर्ण पद पर बैठे नेता यहां अंशाति फैलाकर सांप्रदायिकता फैलाकर चुनाव में ध्रुवीकरण करने लगे है।

रायपुरः जातिगत जनगणना,आरक्षण,धान के मामले में भारतीय जनता पार्टी को कटघेरे में खड़ा करते हुये कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री भक्त चरणदास ने कहा कि भाजपा वंचित वर्ग के लोगो को उनका अधिकार नहीं देने चाहती। वह जातिगत जनगणना छत्तीसगढ़ में आरक्षण विधेयक तथा धान खरीदी के विरोध में है। प्रधानमंत्री छत्तीसगढ़ में सत्ता हासिल करने 4 बार छत्तीसगढ़ आ सकते है। गृहमंत्री हर हफ्ते छत्तीसगढ़ आ रहे है लेकिन देश का एक राज्य मणिपुर जल रहा है, अंशात है प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को मणिपुर जाने की फुर्सत नहीं है। मणिपुर में डबल इंजन की सरकार है, वहां पर भुखमरी है महिलाओं की इज्जत सुरक्षित नहीं है, लेकिन केन्द्र सरकार नक्कारा बनी हुई है। छत्तीसगढ़ में इनके पास मुद्दे नहीं है। भाजपा के महत्वपूर्ण पद पर बैठे नेता यहां अंशाति फैलाकर सांप्रदायिकता फैलाकर चुनाव में ध्रुवीकरण करने लगे है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार देश की जनगणना नहीं करवाना चाहती है। चुनाव आते ही प्रधानमंत्री मोदी स्वयं ओबीसी बन जाते हैं लेकिन जब-जब पिछड़ा वर्ग को उनका अधिकार देने की बारी आती है तब तब भाजपा ने सदैव ही निराश किया है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री मोदी से लगातार अनुरोध किया है कि जनगणना रजिस्टर में जाति का कॉलम जोड़ा जाए लेकिन मोदी सरकार नहीं चाहती कि पिछड़ा वर्ग की हार्दिक सामाजिक स्थिति का सही आकलन हो सके।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने सर्वसमाज के हित में राज्य के अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, ओबीसी, अनारक्षित वर्ग के गरीबों के हित में छत्तीसगढ़ नवीन आरक्षण विधेयक विधानसभा में पारित करवा कर राजभवन भेजा है। दुर्भाग्यजनक है आरक्षण विधेयक कानून का रूप नहीं ले पा रहा। वंचित वर्गो को उनका संवैधानिक हक भाजपा के षड़यंत्रों के कारण नहीं मिल पा रहा है। आरक्षण संशोधन विधेयक को राजभवन में 9 महिनों से अटका हुआ है। अभी तक राजभवन ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किया है। प्रदेश में चुनावी दौरे पर भाजपा के बड़े-बड़े नेता आ रहे प्रधानमंत्री, भाजपा अध्यक्ष से लेकर केंद्रीय मंत्री तक आ रहे लेकिन राजभवन में रूके आरक्षण बिल पर सब मौन है। भाजपा के कारण आरक्षण बिल राजभवन में रुका हुआ है। भाजपा के आरक्षण विरोधी रवैये को कांग्रेस जनता के बीच लेकर जायेगी। भाजपा आरक्षित वर्ग के गरीबों के हितों में बाधक बनी हुई है। आरक्षण संशोधन विधेयक में आदिवासी समाज के लिये 32 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था है। आरक्षण विधेयक राजभवन में रुका है तो इसका खामियाजा आदिवासी समाज को सबसे ज्यादा हो रहा। कांग्रेस ने सर्व समाज को आरक्षण देने अपना काम पूरी ईमानदारी से करके सभी वर्गो के लिये आरक्षण का प्रावधान किया है। अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति को उनकी जनगणना के आधार पर तथा पिछड़ा वर्ग को क्वांटी फायबल डाटा आयोग की रिपोर्ट के आधार पर आरक्षण का प्रावधान किया। इस विधेयक में अनुसूचित जनजाति के लिये 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति के लिये 13 प्रतिशत तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के लिये 27 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है। आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगो को भी 4 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है। 76 प्रतिशत का आरक्षण सभी वर्गो की आबादी के अनुसार निर्णय लिया है। यह विधेयक यदि कानून का रूप लेगा तो हर वर्ग के लोग संतुष्ट होंगे। सभी वंचित वर्ग के लोगों को मुख्यधारा से जोड़ने सामाजिक न्याय को लागू करने यह विधेयक बनाया गया है। इस विधेयक को विधानसभा ने सर्वसम्मति से पारित किया है इसको रोकना जनमत का अपमान है।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार के प्रति केंद्र सरकार की दुर्भावना इतनी ज्यादा है कि केंद्र के पास राज्यों को देने चावल का स्टॉक नहीं है। कर्नाटक सरकार ने केंद्र से 35 लाख मीट्रिक टन चावल मांगा उसके लिये कर्नाटका सरकार भुगतान भी करती लेकिन केंद्र ने स्टॉक नहीं होने की बात कर कर्नाटका को चावल देने से मना कर दिया। वहीं केंद्र सरकार छत्तीसगढ़ से इस वर्ष 86 लाख टन चावल लेने का एमओयू करती है लेकिन बाद में केंद्र इस एमओयू से चावल लेने की मात्रा घटाकर 61 लाख मीट्रिक टन कर देता है। यह छत्तीसगढ़ के साथ दुर्भावना नहीं है तो और क्या है? आपको विभिन्न योजनाओं में चावल देने के लिये चाहिये आपके पास स्टॉक भी नहीं है। छत्तीसगढ़ राज्य में किसान भरपूर धान पैदा कर रहे यहां पर इस वर्ष कांग्रेस की सरकार ने 125 लाख मीट्रिक टन धान खरीदने का लक्ष्य रखा है। छत्तीसगढ़ में चुनाव है। छत्तीसगढ़ सरकार को असहयोग करना है इसलिये वहां की सरकार से चावल नहीं लेना है यह केंद्र की दुर्भावना है। केंद्र भले एक दाना चावल मत ले कांग्रेस सरकार छत्तीसगढ़ के किसानों का दाना-दाना धान खरीदेगी। इस वर्ष भी कांग्रेस सरकार ने 20 क्विंटल प्रति एकड़ धान खरीदी का लक्ष्य रखा है तथा इस वर्ष राज्य के किसानों से कांग्रेस सरकार 125 लाख मीट्रिक टन धान खरीदेगी। मोदी सरकार तो घोषित समर्थन मूल्य से 1 रूपये भी ज्यादा कीमत देने पर राज्य सरकार को धमकाती है की वह राज्य से केन्द्रीय योजनओं के लिये लगने वाला चावल नही खरीदेंगे। अकेली छत्तीसगढ़ सरकार है जो अपने धान उत्पादक किसानों को देश में सबसे ज्यादा कीमत देती है। छत्तीसगढ़ के किसानों को पिछले वर्ष धान की कीमत 2640 मिली, उत्तरप्रदेश, गुजरात, जैसे राज्यों में तो किसानों को धान का मूल्य 1100 रूपये मिलता है। छत्तीसगढ़ देश का अकेला ऐसा राज्य है जहां किसानों को प्रति एकड़ धान पर 9,000 रूपये तथा अन्य फसल पर 10,000 रूपये की इनपुट सब्सिडी मिलती है। छत्तीसगढ़ देश का अकेला राज्य है जहां पर कृषि मजदूरों को प्रतिवर्ष 7000 रूपये मिलता है छत्तीसगढ़ सरकार ने किसानों के खाते में 1.75 लाख करोड़ रूपये सीधे डाला है।

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