अपराजिता योद्धा कैलाश की अमित शाह से तीन मुलाकातें
डॉ संतोष पाटीदार
इंदौर। चुनाव परिणाम के ठीक पहले तक मात्र 15 दिनों में पार्टी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की अमित शाह से एक के बाद एक तीन मुलाकातों का रहस्य अभी तक बाहर नहीं आया है । अटकलें कई है। दावा मुख्यमंत्री का है क्योंकि कैलाश पर्वत की तरह अजय पराक्रमी चमत्कारिक भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय विधानसभा चुनाव में अपने और विरोधियों के चक्रव्यूह को भेद कर भारी जीत हासिल कर साबित कर दिया है कि वे सिर्फ जीतना जानते है। अपने ही पार्टी के षडयंत्रों के शिकार कैलाश शुरू से ही अपराजिता योद्धा रहे हैं।जितने बार भी कैलाश विजयवर्गीय को उनके राजनीतिक प्रतिद्वंदियों ने हंसिए में ढकेलने की कोशिश की है वे हर बार नई ताकत के साथ उभरे है। इस बार भी उन्हें अपनों ने ऐसे चक्रव्यूह में गिरने की कोशिश की। कैलाश कसौटी पर थे चुनौतियां अपार थी। बेमन से पार्टी का आदेश स्वीकार किया। उन्हें चुनाव में प्रतिद्वंदी डाले के लोगो से ज्यादा अपने ही दल के विरोधियों से जूझना पड़ा। अंततः उनके व्यक्तित्व के जादू से मालवा निमाड़ की कई सारी सीटों पर भी प्रभाव पड़ा । इससे भाजपा को कमजोर प्रत्याशियों की नैया पार लगवाने में मदद मिली।मालव की राजनीति के आकर्षण कैलाश का दावा बीते 20 वर्षों से मुख्यमंत्री पद के लिए रहा है लेकिन वह हमेशा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की राजनीति के शिकार होते रहे। इस समय केंद्रीय नेतृत्व में प्रदेश में शिवराज सरकार के खिलाफ बना रहे जनमानस की चुनौती के सामने केंद्र ने कैलाश सहित अन्य मंत्रियों को चुनाव में उतारा था इसलिए इनकी जीत के बाद मुख्यमंत्री के लिए दावेदारी भी मजबूत करती है। हालांकि लाडली बहन योजना का श्रेया मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को दिया जा रहा है। उससे लगता है कि अगले लोकसभा चुनाव तक संगठन ने ही मुख्यमंत्री बनाए रखें। लेकिन जिस तरह एक तरफ बहुमत भाजपा को मिला है उसके कारण चौहान को हटाकर किसी और के नाम पर मोहर लग जाए। बुंदेलखंड के नेता प्रहलाद पटेल भी मुख्यमंत्री की दावेदारी में वर्षों से जोर आजमाइश किए हुए हैं उनका भी नाम आगे बढ़ा है लेकिन शिवराज के विरोधी रहे पटेल के लिए रहा आसान नहीं है यही स्थिति कैलाश के लिए है। नरेंद्र सिंह तोमर भी एक नाम हो सकते है।मध्यप्रदेश के मुखिया की कुर्सी उसे ही मिलेगी जिसे मोदी और शाह चाहेगे। हो सकता है कि ऐसा कोइ नाम सामने आए जिसके बारे में अभी राजनीतिक पंडित सोच भी न रहे हो। यह जरुर है कि पश्चिम बंगाल की जवाबदारी के बाद कैलाश विजयवर्गीय को प्रदेश ताकतवर जरुर रखा जाएगा।