मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने किया तीसरे प्रो-बोनो क्षमता निर्माण कार्यक्रम का उद्घाटन
समाज के पिछड़े एवं जरूरतमंद वर्ग की मदद करने के लिए किए जा रहे है गंभीर प्रयास
पीपीएम ब्यूरो
इंदौर। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा लगातार तीसरे प्रो-बोनो क्षमता निर्माण कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय न्यायिक सेवा परीक्षाओं की कठोर चुनौतियों का सामना करने वाले अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यकों, महिलाओं, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग और अन्य वंचित वर्ग के उम्मीदवारों के लिए प्रो-बोनो प्रशिक्षण सत्र शुरू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। 30 जनवरी, 2024 को न्यायमूर्ति रवि मलिमथ, मुख्य न्यायाधीश, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय एवं संरक्षक-प्रमुख, म.प्र. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जबलपुर ने एमपी की मुख्य लिखित परीक्षा की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर मुख्य न्यायाधीश ने कार्यक्रम के उद्देश्यों के बारे में संबोधित किया और कहा कि कमजोर वर्गों का सशक्तिकरण और समान अवसर देना हमारा संवैधानिक लक्ष्य है और जब अपने संवैधानिक प्रदर्शन की बात आती है तो मध्य प्रदेश हमेशा अग्रणी रहा है। अधिवक्ताओं के लिए नियमित क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित करने का यह मध्य प्रदेश राज्य का ऐतिहासिक क्षण है। इस प्रकार के कार्यक्रम से न केवल अधिवक्ताओं को लाभ होगा बल्कि संस्थानों को भी लाभ होगा। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हमें अच्छे और योग्य उम्मीदवार और न्यायपालिका में शामिल होने के लिए उचित रूप से प्रशिक्षित उम्मीदवार मिले। यदि आपके पास अच्छा जज है तो आपको अच्छा जजमेंट मिलेगा। मध्य प्रदेश राज्य में चल रही चयन प्रक्रिया को देखते हुए हम अधिकांश सीटें भरने में असमर्थ हैं क्योंकि वे विशेष रूप से इन श्रेणियों में खाली हैं। इसे एक चुनौती के रूप में लेते हुए हम समाज के इस पिछड़े वर्ग की मदद के लिए ईमानदारी से प्रयास करें, तभी हम उनके प्रति संवैधानिक दायित्व को पूरा कर पाएंगे।
हम उन सभी लोगों की मदद के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं जो न्यायपालिका में शामिल होना चाहते हैं। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम उन उम्मीदवारों के साथ-साथ संस्थान की मदद के लिए सोच-समझकर तैयार किया गया है।
कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति शील नागू ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि “यह क्षमता निर्माण कार्यक्रम एमपीएसजेए और एमपीएसएलएसए द्वारा शुरू किया गया तीसरे प्रकार का कार्यक्रम है, जो अनुसूचित जाति/जनजाति, अल्पसंख्यकों, महिलाओं, आर्थिक रूप से कमजोर उम्मीदवारों के लिए सुनहरा अवसर प्रदान करता है।
अध्यक्ष, उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति, जबलपुर न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल ने अपने संबोधन में कहा कि मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने पूर्व में 24 अगस्त 2023 को भी क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित किया था, जिसमें अधिवक्तागण जो विशेष रूप से एससी/एसटी, अल्पसंख्यकों, महिला, ईडब्ल्यूएस एवं अन्य श्रेणी में आते हैं उनके लिए 50 सत्र आयोजित किए गए थे। उस क्षमता निर्माण कार्यक्रम में 480 पंजीकृत अधिवक्ताओं में से 45 अधिवक्ताओं ने 2023 की प्रारंभिक परीक्षा सफलतापूर्वक उत्तीर्ण की।
उक्त कार्यक्रम में रजिस्ट्रार जनरल मनोज कुमार श्रीवास्तव, निदेशक, म.प्र. राज्य न्यायिक अकादमी, एमपीएसएलएसए और एमपीएसजेए के अधिकारी भी उपस्थित थे।