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जन्मकुंडली: नवम भाव भाग्य का घर

आचार्य डॉ0 विजय शंकर मिश्र

कुंडली के तीनो त्रिकोण भावो में नवम भाव सबसे शुभ त्रिकोण भाव है।
🔸धर्म, कर्म, भाग्योउन्नति आदि का विचार इसी भाव से किया जाता है।सभी के मन में अधिकतर यही प्रश्न रहता है कि मेरा या इस जातक का भाग्य कैसा है।किसी भी जातक की किस्मत कितना उसका साथ देगी, कौन से काम-काजो में जातक का भाग्य साथ देगा यह नवम भाव की शुभ अशुभ स्थिति पर निर्भर करता है।
🔸 नवम् भाव, भावेश के बली और शुभ होने से जातक कई तरह से भाग्यशाली कहा जा सकता है।किस्मत का साथ जातक को मिल जाने से जीवन में सफलताओ और आसान जिन्दगी जीने के रास्ते मिल जाते है।
🔸नवम भाव का कारक गुरु होता है इसीकारण भाग्य का साथ पूरी तरह से जातक को मिले इसके लिए गुरु का मजबूत होना जरुरी होता है साथ ही नवमेश भी बली और शुभ प्रभाव में होना चाहिए।
🔸नवम भाव का स्वामी भाग्येश जिस भाव के स्वामी के साथ युतिदृष्टि आदि सम्बन्ध बनाता है उस भाव के शुभ फलों में वृद्धि करता है।
🔸6 और 8वे भाव या भावेश से नवमेश का सम्बन्ध शुभ नही होता।6,8 भाव, भावेश के आलावा कुंडली के जिस भाव का सम्बन्ध भी नवम भाव या भावेश से बन जाता है उस भाव पूर्ण शुभ फल जातक को मिलने का रास्ते आसान हो जाते है।
🔸जैसे नवमेश का सम्बन्ध चतुर्थ भाव या चतुर्थेश से केंद्र त्रिकोण में बली सम्बन्ध होने से भूमि, मकान, वाहन आदि के मामलो में जातक भाग्यशाली होगा।ऐसे जातक को अच्छे मकान, वाहन आदि का सुख अपने भाग्य के बल से मिलता है।
🔸लग्नेश के साथ भाग्येश का सम्बन्ध जातक को भाग्यशाली बनाएगा, पंचमेश के साथ अच्छी और गुणी संतान देगा तो सप्तम भाव या सप्तमेश के साथ शुभ बली सम्बन्ध भाग्यशाली जीवनसाथी दिलाता है।
🔸नवम भाव से पूर्वजो, धार्मिक कार्यो, ईश्वर में आस्था, पिता का साथ, गुरु, धार्मिक स्थानों का भी विचार किया जाता है।
🔸जिन जातको का नवम भाव बली और शुभ होता है ऐसे जातको के कार्य जल्दी और आसानी से पुरे हो जाते है अपने शुभ चिंतको का ऐसे जातको को पूरा पूरा सहयोग मिलता है।इसके विपरीत नवम भाव की अशुभ और पीड़ित स्थिति पूरी तरह से विपरीत फल देती है।
🔹 नवम भाव का सम्बन्ध 12वे भाव या भावेश से बन जाने से जातक का भाग्य अपने जन्म स्थान से दूर रहकर ज्यादा प्रभावित होता। शुभ और बली सम्बन्ध 12वे भाव या भावेश से होने से जन्म स्थान से दूर जातक को अच्छी सफलता देने वाला होता है।
🔸नवम भाव और गुरु की बलवान स्थिति बुजुर्ग व्यक्तियो, गुरु का सहयोग और एक तरह से देवकृपा देने वाली होती है।

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