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अपराध रोकने में मप्र पुलिस ने किया डिजिटल तकनीकी का बेहतर उपयोग,मिला पहला स्थान

पीपीएम ब्यूरो

एनसीआरबी, गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा किया गया सम्मान

भोपाल।पुलिसिंग में तकनीकी पहल करने के लिए मध्य प्रदेश पुलिस की एससीआरबी टीम को प्रथम पुरस्कार मिलने पर बधाई देते हुए मप्र पुलिस के मुखिया डीजीपी सुधीर कुमार सक्सेना ने कहा कि अपराधों की रोकथाम के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग कर मध्य प्रदेश पुलिस को नवीन ऊंचाइयों तक पहुंचाएं। जिन्हें प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ है, वे इसे कायम रखें और जो दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं, वे आगामी वर्ष प्रथम स्थान प्राप्त करने का प्रयास करें।
इस अवसर पर भोपाल के पुलिस मुख्यालय, एससीआरबी में पदस्थ एडीजी चंचल शेखर, एआईजी प्रांजलि शुक्ला, निरीक्षक डॉली गोस्वामी, प्रधान आरक्षक (कम्प्यूटर) अंकुश सोनी और अर्शदीप सिंह सहित पूरी टीम को उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित किया गया।
उल्लेखनीय है कि नई दिल्ली में 21-22 दिसंबर को आयोजित “Conference on Good Practices in CCTNS/ICJS, 2023 ” में राष्‍ट्रीय अपराध रिकाॅर्ड ब्‍यूरो (एनसीआरबी), गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा मध्य प्रदेश पुलिस को डिजिटल क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन एवं आईसीजेएस का उपयोग करते हुए अपराधों की रोकथाम करने के लिए प्रथम पुरस्कार प्रदान किया गया है। आईसीजेएस (इन्टर-ऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम) के क्रियान्वयन में सराहनीय कार्य के लिए संपूर्ण देश में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर मध्य प्रदेश पुलिस को यह ट्रॉफी प्रदान की गई। इसके साथ ही प्रदेश की फॉरेंसिक शाखा को देशभर में द्वितीय स्थान और मध्य प्रदेश पुलिस को e-Rakshak Mobile App की नई पहल के लिए भी तृतीय पुरस्कार प्राप्त हुआ है।

शीघ्र एवं पारदर्शी विवेचना के लिए महत्वपूर्ण तकनीक है आईसीजेएस :-
एडीजी एससीआरबी चंचल शेखर ने बताया कि मध्यप्रदेश में आईसीजेएस के क्रियान्वयन में राज्य अपराध अभिलेख ब्यूरो (एससीआरबी) नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करता है। एससीआरबी सभी पिलर्स के नोडल अधिकारियों के साथ समन्वय स्थापित करता है ताकि आईसीजेएस का सुचारू रूप से संचालन, अपराधों की शीघ्रता से विवेचना और न्यायिक प्रक्रिया का सफल क्रियान्वयन सुनिश्चित हो सके। एससीआरबी द्वारा सभी पिलर्स की मासिक बैठक लेकर समस्याओं का समाधान करने के साथ ही इनकी रिपोर्ट माननीय उच्च न्यायालय की ई-कमेटी को प्रेषित की जाती है।
इन्टर-ऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम (आईसीजेएस) माननीय सर्वाेच्च न्यायालय की ई-कमेटी की एक पहल है। यह आपराधिक एवं न्यायिक प्रणाली को त्वरित एवं पारदर्शी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। आईसीजेएस मुख्यत: एक एकीकृत पोर्टल है, जो पुलिस, जेल, फॉरेंसिक, प्रॉसिक्यूशन और न्यायिक विभागों को संयुक्त स्थानीय न्यायिक प्रणाली से जोड़ता है और अपराधों की विवेचना व कार्रवाई में सुधार करने में सहायता करता है। इस प्रणाली का उद्देश्य अपराधों की रोकथाम, जांच और न्यायिक प्रक्रिया में सुधार लाना है ताकि विभिन्न संगठनों और विभागों के बीच समन्वय बढ़े और कार्यप्रणाली में सुधार हो सके। पैन इंडिया क्रिमिनल रिकॉर्ड सर्च, आइडेंटिफिकेशन ऑफ क्रिमिनल नेटवर्क, 360 डिग्री प्रोफाइलिंग ऑफ सस्पेक्ट आदि इसकी विशेषताएं हैं।

अपराधों पर नियंत्रण का मापदंड होता है चयन का आधार
एडीजी एससीआरबी चंचल शेखर ने बताया कि आईसीजेएस पोर्टल में उत्कृष्ट प्रदर्शन मुख्यत: चार बिंदुओं पर आधारित है, जिन पर मध्य प्रदेश पुलिस द्वारा सफलता पूर्वक कार्य किया गया है।
प्रदेश में घटित होने वाली घटनाओं में संलिप्त लोगों की आपराधिक पृष्ठभूमि की जांच, जो कि जनवरी 2023 तक 3 लाख 50 हजार थीं, जो नवंबर में बढ़कर 56 लाख हो गई हैं।
आपराधिक न्याय प्रणाली के सभी स्तंभों में जानकारी का अधिक से अधिक आदान-प्रदान होना – एफएसएल की जांचों की जानकारियों का आदान-प्रदान देश में पहली बार मध्य प्रदेश में व्यवस्थित रूप से किया गया।
आईसीजेएस के उपयोग से अपराधियों तक पहुंचना
मध्य प्रदेश में पहली बार जिले एवं तहसील स्तर के न्यायाधीशों का आईसीजेएस में प्रशिक्षण एवं उपयोग किया गया।

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