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अक़ीदत के सजदों से सजा इज्तिमागाह, सादगी से हुए सैंकड़ों निकाह

नईम कुरैशी

भोपाल। हर तरफ अक़ीदत, हर तरफ ज़िक्र ए इलाही, भलाई की बातें, बुराई से बचने की ताक़ीद…! चार दिनी आलमी तबलीगी इज्तिमा का पहला दिन जमातियों के लिए नमाज़ ए जुमा की बड़ी मजलिस से ख़ास हो गया। लाखों लोगों की शिरकत वाली नमाज़ से इज्तिमागाह पर मानो अल्लाह की रहमत से हर कोई मालामाल था, तो दिल्ली मरकज़ से आए उलेमाओं की दुआ ए ख़ास ने भी इस मौक़े को अहम बना दिया। पहले दिन तक़रीर और बयान के दौर के बीच बड़ी तादाद में निकाह भी हुए। अगले दो दिनों में सरकारी छुट्टियों और इसके बाद सोमवार को होने वाली दुआ ए ख़ास के लिए लोगों की आमद का सिलसिला तेज़ हो गया है।
आलमी तबलीगी इज्तिमा की शुरुआत अल सुबह फजिर की नमाज़ के साथ हुई। यूपी से आए मौलाना जमशेद साहब ने अपने बयान में अल्लाह पर मजबूत भरोसा रखने की ताकीद की। उन्होंने समझाया कि अल्लाह के सिवा किसी और से सवाल करने वाले के लिए अल्लाह मोहताजी का दरवाजा खोल देते हैं।

जुमा की नमाज़ में जुटे लाखों नमाज़ी

दोपहर करीब डेढ़ बजे हुई जुमा की नमाज में शिरकत के लिए लोगों के पहुंचने का सिलसिला सुबह से ही शुरू हो गया था। इज्तिमागाह पर बनाए गए करीब 125 पंडाल में करीब पांच सौ लोगों के ठहरने का इंतजाम है। नमाज ए जुमा के लिए कमोबेश ये सभी पंडाल नमाजियों से पुर हो गए थे।  नमाज के बाद दिल्ली मरकज से आए हजरत मौलाना यूसुफ साहब कांधलवी ने दुआ करवाई। जिसमें शामिल होना लोगों ने खुद के लिए बड़े फैज करार दिया। इतने बड़े मजमे में जब खुतबा शुरू हुआ तो हर तरफ पिन ड्रॉप साइलेंट हो गया और वातावरण में हर तरफ सिर्फ मौलाना की आवाज ही तैर रही थी। जुमा की नमाज के बाद अपने बयान में मौलाना यूसुफ साहब ने कहा कि बंदा जैसी नीयत करता है, अल्लाह उसी तरह के हालात बना देते हैं। उन्होंने लोगों से भलाई करने, सबके लिए अच्छा किरदार रखने और हर काम अल्लाह की रजा के लिए करने की बात समझाई।

सादगी से हुए सैंकड़ों निकाह

इज्तिमा इतिहास के 77 साल में पहली बार सामूहिक निकाह आयोजन के पहले दिन किए गए। अब तक ये आयोजन इज्तिमा के दूसरे दिन हुआ करता था। जिसे बयान की तरतीब के लिहाज से पहले दिन शिफ्ट कर दिया गया है। जानकारी के मुताबिक इस बार इज्तिमागाह पर करीब 350 निकाह पढ़ाए गए हैं। दिल्ली मरकज से आए हजरत मौलाना मोहम्मद सआद साहब कंधालवी ने निकाह पढ़ाने के बाद इन जोड़ों की कामयाब जिंदगी की दुआ कराई। उन्होंने नए दूल्हा को अपनी बीवी के प्रति दायित्व और मां बाप के साथ बाकी रिश्तेदारों के लिए कर्तव्य भी समझाए। गौरतलब है इज्तिमा के दौरान निकाह की प्रक्रिया में दूल्हा अपने रिश्तेदारों के साथ पहुंचता है। जबकि दुल्हन की तरफ से उसका कुबूलनामा उसके परिजन लेकर आते हैं। बिना खर्चीली और आसान शादी की अवधारणा को आगे बढ़ाने के लिए ये आयोजन किया जाता है। मसाजिद कमेटी द्वारा इसके लिए रजिस्ट्रेशन करता है। साथ ही ऐसे निकाह के लिए रजिस्ट्रेशन फीस में रियायत भी देता है।

सआद साहब को सुनने पहुंचा बड़ा मजमा

दिल्ली मरकज के हजरत मौलाना मोहम्मद सआद साहब कांधालवी के बयान के लिए लोगों का हुजूम हमेशा से लगता आया है। जो लोग अपनी दिन की कामकाजी व्यस्तता के चलते इज्तिमा में पूरा समय नहीं दे पाते, वे शाम को मगरिब की नमाज के बाद होने वाले मौलाना के बयान सुनने जरूर पहुंचते हैं। मगरिब की नमाज के बाद शुरू होने वाले बयान का सिलसिला देर रात तक चलता है। इज्तिमागाह पर नमाज ए ईशा का वक्त भी हजरत के बयान पूरा होने के बाद ही रखा जाता है। शुक्रवार सुबह भोपाल पहुंचे मौलाना सआद साहब को सुरक्षा की दृष्टि से बड़ा पुलिस संरक्षण भी मुहैया कराया है। मौलाना ने शुक्रवार शाम को अपने बयान में कहा कि हर चीज, हर बात, हर वाक्या, हर काम, हर हरकत पर अल्लाह की मर्जी ही होती है। उसकी मर्जी के बिना कुछ भी नहीं होता। इसलिए इंसान को हर हालात को अल्लाह की मर्जी मानकर कुबूल करना चाहिए। शुक्रवार को सुबह फजिर में मौलाना जमशेद साहब और जुमा बाद मौलाना यूसुफ साहब कांधाल्वी ने बयान किया। इस दौरान अल्लाह की रस्सी को मजबूती से थामे रखने, सबके लिए अच्छे अखलाक रखने, अपने मुल्क के लिए वफादार रहने की बातें समझाई गईं।

13 से शुरुआत अब लाखों की तादाद

आलमी तबलीगी इज्तिमा की शुरुआत वर्ष 1946 में हुई थी। पहला इज्तिमा मस्जिद शकूर खां में हुआ था, जिसमें महज 13 लोगों ने शिरकत की थी। इस आयोजन की नींव मौलाना मिस्कीन साहब ने रखी थी। इसके बाद अगले साल से इज्तिमा आयोजन ताजुल मसाजिद में शुरू हुआ। साल 1971 से इज्तिमा का आयोजन बड़े स्वरूप में होने लगा। वर्ष 2003 तक ये आयोजन ताजुल मसाजिद में ही होता रहा। जिसके बाद जमातों की बढ़ती संख्या के लिहाज से इसको ईंटखेड़ी शिफ्ट कर दिया गया। तब से ये आयोजन इसी जगह पर सैंकड़ों एकड़ जमीन पर हो रहा है। इसमें शामिल होने वालों की तादाद भी हर साल बढ़ते हुए लाखों तक पहुंच गई है। इस बार 4 दिन के इस पूरे आयोजन में करीब 12 लाख लोगों के शामिल होने की उम्मीद की जा रही है।
दुनिया का दूसरा बड़ा समागम
आलमी तबलीगी इज्तिमा का आयोजन आजादी से पहले एक साथ हुआ करता था। लेकिन बंटवारे के साथ ये भी तीन हिस्सों में बांट दिया गया। अब भारत का इज्तिमा भोपाल में होता है, जबकि पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी इस तरह के आयोजन होते हैं। बताया जाता है किसी धार्मिक आयोजन में शामिल होने वाले लोगों की तादाद के लिहाज से सबसे बड़ा आयोजन हज को माना जाता है, जिसमें हर साल करीब 40 लाख से ज्यादा लोग शामिल होते हैं। इसके बाद भोपाल के तबलीगी इज्तिमा को इसकी बड़ी शिरकत के लिहाज से माना जाता है।

इज्तिमागाह पर नमाज़ का वक्त

फजर     सुबह 6.10 बजे

ज़ोहर      दोपहर 2.15 बजे

असीर      शाम 4.30 बजे

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