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भाजपा-कांग्रेस को रास नहीं आए नौकरशाह 

चुनाव लड़ने सदस्यता ली, मगर टिकट देने में रूचि नहीं दिखाई दलों ने

राजेन्द्र पराशर

भोपाल। मध्यप्रदेश में राजनीतिक दलों भाजपा और कांग्रेस ने प्रदेश के नौकरशाहों को संगठन में अपनाया जरूर, मगर उन्हें राजनीतिक पारी खेलने के लिए टिकट देने में दूरी बनाई है। दोनों ही दलों में चुनाव के पहले कुछ पूर्व और कुछ नौकरशाहों ने वीआरएस लेकर चुनाव लड़ने की तैयारी के साथ सदस्यता ली, मगर इन नौकरशाहों को टिकट देने में दोनों ही दलों ने कंजूसी बरती है। किसी ने भी नौकरशाह को टिकट नहीं दिया है।
प्रदेश में विधानसभा चुनाव की आहट के साथ ही करीब छह माह पहले से नौकरशाहों ने राजनीति में सक्रियता दिखाने की तैयारी की। अपने-अपने हिसाब से जमावट करते हुए उन्होंने भाजपा और कांग्रेस की सदस्यता भी ली। कुछ तो पहले से ही इन दलों में सेवानिवृत्ति के बाद से ही आ चुके थे, तो कुछ ने चुनाव की तारीखों के घोशित होने के पहले इन दलों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। माना जा रहा था कि दोनों ही दल नौकरशाहों को चुनाव मैदान में प्रत्याशी बनाकर उतारेंगे, मगर जैसे-जैसे चुनाव के लिए प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया ष्शुरू होती गई, दोनों ही दलों ने इन नौकरशाहों की ओर ध्यान नहीं दिया। परिणाम यह निकला कि दोनों ही दलों ने नौकरशाहों को प्रत्याशी बनाने से परहेज रखा।
निशा बांगरे को ले देकर मिली टिकट
छतरपुर की डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने तो बैतूल जिले की आमला विधानसभा सीट से मैदान में उतरने की पूरी तैयारी भी कर ली थी। इसके चलते कांग्रेस नेताओं के आश्वासन पर उन्होंने इस्तीफा भी दे दिया। मगर सरकार ने इस्तीफा मंजूर करने के बजाय अटका दिया। इसके चलते अदालत तक वे पहुंची और सरकार को इस्तीफा मंजूर करने विवश भी किया। मगर सरकार ने जब इस्तीफा मंजूर किया तो कांग्रेस ने उसके पहले आमला से प्रत्याशी घोषित कर दिया। इसके बाद भी निशा ने कांग्रेस की सदस्यता इस उम्मीद से ली कि शायद प्रत्याशी बदल दिया जाए, मगर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने साफ कर दिया कि निशा बांगरे चुनाव नहीं लड़ रही है। कांग्रेस द्वारा इस तरह से निशा बांगरे से दूरी बनाने के बाद निशा के हाथ से नौकरी तो गई ही, साथ ही राजनीतिक मैदान में उतरने की उनकी मंशा भी पूरी नहीं हुई।
चुनाव लड़ने को इच्छुक नौकरशाह, जिन्हें नहीं मिला टिकट
सेवानिवृत्त आईएएस कवीन्द्र कियावत, रविन्द्र कुमार मिश्रा, वेदप्रकाश ष्शर्मा, एम के अग्रवाल, एस एन चौहान, रघुवीर श्रीवास्तव, सेवानिवृत्त जज डा प्रकाश उइके, पेशे से डाक्टर रहे देवेन्द्र मरकाम भाजपा से टिकट की उम्मीद लगा रहे थे। वहीं पूर्व आईएएस अजीता वाजपेयी पांडे, वी के बाथम और निशा बांगरे को कांग्रेस से टिकट की उम्मीद थी। इनके अलावा आईपीएस पुरुषोत्तम ष्शर्मा, जनपद पंचायत सीईओ रतलाम के लक्ष्मण सिंह डिंडोर का इस्तीफा मंजूर नहीं हुआ। वहीं शहडोल कमिश्नर रहे राजीव शर्मा ने भी वीआरएस लेकर चुनाव लड़ने की इच्छा जताई थी। कुछ माह पहले आईएएस वरदमूर्ति मिश्रा ने भी वीआरएस लेकर अपनी पार्टी बना ली थी। मगर अब तक यह तय नहीं किया कि वे चुनाव लड़ रहे हैं या नहीं। सेवानिवृत्त आईएफएस आजाद सिंह डबास ने भी चुनाव लड़ने का बहुत प्रयास किया। इसके चलते वे पहले कांग्रेस में गए, फिर बात नहीं बनी तो आम आदमी पार्टी की सदस्यता ली, मगर वहां भी उन्हें टिकट के लिए निराशा ही हाथ लगी।

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