डॉ सन्तोष पाटीदार
इन्दौर।प्रदेश में चुनावी बेला है।चारो तरफ राजनीतिक दलों के वही रेट रटाये नारे, वादे,कसमे और मुफ्त रियायतों की ज़ुबानी घोषणा का शोर उठा हुआ है।इस शोर में न तो पार्टी विद डिफरेंस बताने वाली भाजपा कम है और न गरीबी हटाओ का नारा देकर पूरे देश में राज कर चुकी कांग्रेस। बाकी बचे सपा, बसपा, आम आदमी पार्टी, जैसे कई दल भी अपनी मौजूदगी के लिए लुभावने वादे करते फिर रहे है ।




वोटो खरीदों की मुफ्तखोरी की घोषणाओ और महंगाई के दलदल के बीच फंसी आम जनता के पास कोई विकल्प ही नहीं ।
इस परिदृश्य को बदलने का विचार या उस राह पर कदम रखना लोहे के चने चबाने जैसा है। बावजूद इसके समाज में विभिन्न वर्गो के लोगों के साथ कई बरस के विमर्श के बाद इस चुनौती को कुछ समर्पित समाजसेवकों ने स्वीकारा है।
ये सभी उच्च शिक्षित डॉक्टर, इंजीनियर,आईआईटी, किसान, इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के छात्र और पेशेवर,नारी शक्ति आदि है।ये सब प्रदेश के अलग अलग हिस्सों से आते हैं।अलहद यह है कि बेहतर विकल्प खड़ा करने की मजबूत इच्छा शक्ति वाले ये जन सेवक राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ के बीते हुए दौर की समाज राष्ट्र समर्पित निष्ठावान पीढ़ी के तपे तपाए सेवक है। इन्होने संघ और बीजेपी के हर दौर को बेहद करीब से देखा और परखा है। धन की भ्रष्ट सत्ता के रंग में रंगे संघ और बीजेपी के छद्म हिन्दुत्व तथा राष्ट्र हित से अज़ीज आकर इन लोगो ने संघ से तौबा कर ली। धन नहीं जन के सूत्र वाक्य के साथ बदलाव की डगर पर बढ़ चले इन समाज सेवको के स्वयंसेवकों का बड़ा नेटवर्क है। मालवा निमाड़ खासकर इंदौर और आसपास बीजेपी को खड़ा करने का बड़ा श्रेय इन्हे जाता है। इनका प्रभाव क्षेत्र भी विशाल है।
धनबल, माफिया, कॉर्पोरेट, नशा,जमीन के अवैध सौदागरों आदि की भयावह भ्रष्ट राजनीति, सड़े गले सरकारी तंत्र से त्रस्त समाज में परिवर्तन की अंतर धारा बह रही हैं। जनहित में यह धारा राजनीतिक धरातल पर जनहित पार्टी के रूप में प्रवाहमान हुई है।
जनसेवा आंदोलन के प्रमुख संघ के पूर्णकालिक पूर्व प्रचारक रहे अभय जैन और डॉ, सुभाष बारोड बताते है “धन बल की नही जन की हितकारी राजनीति की दरकार इस समय है। इसका प्रारंभ जनहित पार्टी के अंकुरण से हुआ है। पार्टी का यह पहला राजनीतिक कदम हैं। यह दल जनता का, जनता के द्वारा,जनता के लिए, के ध्येय वाक्य पर काम करेगें।