April 7, 2025
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खुद को सबसे ऊपर व्यक्त करने से लेकर खुद को सबसे नीचे पाने तक: सोशल मीडिया का भयानक पक्ष

आज के डिजिटल युग में, सोशल मीडिया का काफिला सिर्फ दोस्तों से जुड़ने तक ही सीमित नहीं है, इसकी पहुँच अपडेट्स शेयर करने से लेकर खुद अपडेट रहने तक के एक मंच से कहीं अधिक हो चुकी है। सोशल मीडिया हमारे जीवन का एक प्रमुख हिस्सा बन गया है। यह सिर्फ खुद को अभिव्यक्त करने का ही माध्यम नहीं है, बल्कि इसने हमें यह भी एहसास कराया है कि हम क्या हैं और कौन हैं। बीते कुछ समय में यह एक ऐसा क्षेत्र बन गया है, जहाँ व्यक्ति अपनी उपलब्धियों, अनुभवों और संपत्ति का प्रदर्शन करते हैं। सोशल मीडिया का विकास आत्म-अभिव्यक्ति और तुलना के लिए एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में हुआ है।
पहले की तुलना में आज के समय में एक बड़ा बदलाव देखने में आया है कि लोग स्वयं का एक आदर्श संस्करण प्रस्तुत करने के लिए अपनी ऑनलाइन उपस्थिति को बेहद सावधानीपूर्वक व्यवस्थित करते हैं। कहने का अर्थ यह है कि पोस्ट करना हो या फिर कोई भी जानकारी साझा करना हो, व्यक्ति सोझ-समझकर ही सोशल मीडिया पर कोई भी जानकारी अपलोड करते हैं और साथ ही, भविष्य में खलल पैदा करने वाली किसी भी तरह की जानकारी साझा करने से बचते हैं। बात चाहे ग्लैमरस छुट्टियों की तस्वीरों की हो या फिर स्वादिष्ट भोजन की, सोशल मीडिया यूज़र्स लगातार अपने जीवन के मुख्य आकर्षणों को अपने दोस्तों आदि से शेयर करके उनका ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। लेकिन कई बार यह ध्यान आकर्षित करने का विषय महज़ ‘दिखावा’ बनकर रह जाता है, जो कहीं न कहीं दूसरों से अच्छी लाइफस्टाइल दिखाने और भर-भरकर लाइक्स और कमैंट्स की इच्छा से प्रेरित होता है।
दुर्भाग्यवश, सोशल मीडिया पर खुद को दूसरों की तुलना में श्रेष्ठ दिखाना कई बार देखने वाले को नीचा दिखाने के समान प्रतीत हो सकता है। इस दिखावे से उपजकर और भी कई दुष्परिणाम हमारे जीवन में सोशल मीडिया की राह से लाने के माध्यम बन सकते हैं। दूसरों से श्रेष्ठ दिखने का जैसे ट्रेंड चल पड़ा है प्लेटफॉर्म्स पर। गरीब को भोजन खिलाने पर दुनिया को दिखाने का तुक आज तक मैं समझ नहीं पाया। सोशल मीडिया पर एक आदर्श जीवन दिखाने का दबाव, गंभीर नकारात्मक परिणामों को जन्म दे सकता है, जिसमें हीन भावना, जलन और कुछ मामलों में चरम पर स्थिति पहुँच जाने पर मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ भी शामिल हैं। इस घटना को आमतौर पर ‘सोशल मीडिया-प्रेरित डिप्रेशन’ या ‘सोशल मीडिया एन्ज़ाइटी’ कहा जाता है।
कई बार लोग खुद को सबसे बेहतर दिखाने के चक्कर में बदनामी के गर्त में चले जाते हैं, क्योंकि बात अच्छी हो या बुरी, सोशल मीडिया के माध्यम से पलक झपकते ही हवा की तरह फैल जाती है। मणिपुर में हुई महिलाओं के साथ हिंसा इसका ताज़ा उदाहरण है। हालाँकि, इस कॉन्टेंट को वायरल करने में उन महिलाओं का कोई योगदान नहीं था, फिर भी हुआ, जो कि बहुत गलत था। इससे भुगतने वाले को तो बुरे परिणाम भोगने ही होते हैं, साथ ही बुरी भावना रखने वालों को और भी अधिक बुरे काम करने की शह भी मिलती है।
जब युवा पीढ़ी लगातार सोशल मीडिया पर दूसरों को लगातार सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ते हुए देखते हैं, तो यह तुलना का सबसे भयानक रूप बनकर सामने आ जाता है। कई मामलों में वे खुद को असफल और बेबस महसूस करना शुरू कर देते हैं, क्योंकि वे उनका मानना है कि वे अपने साथियों से पिछड़े हुए हैं। यह मानसिकता उन्हें धीरे-धीरे सचमुच विफलता के गर्त में ले जाती है। वे यह नहीं समझते कि सबका अपना-अपना सफलता का मार्ग होगा है, कोई उस पर तेजी से चलकर मंजिल पा लेता है, तो किसी को धीरे-धीरे चलकर सफलता हासिल होती है। “सब्र का फल मीठा” कहावत तो जैसे युवा पीढ़ी भूल ही चली है, क्योंकि उनमें सब्र का नामों-निशान नज़र नहीं आता। होड़ दिखती है, तो सिर्फ सोशल मीडिया की दुनिया में सफलता वाली दौड़ की।
इसके अलावा, साइबर बुलिंग और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर नकारात्मक कमैंट्स न सिर्फ हीनता, बल्कि अकेलेपन की भावनाओं को भी जन्म देती हैं, जिससे कई मामलों में व्यक्ति तनाव में आ जाता है और उसकी भावनाओं को बुरी तरह ठेस पहुँचती है। हालाँकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सोशल मीडिया पर हम जो कुछ भी देखते हैं, जरुरी नहीं है कि वह सौ टका वास्तविक या सही ही हो। मॉडर्न फिल्टर्स और सोच-समझकर तैयार किए गए कैप्शंस के पीछे किसी के जीवन का एक क्यूरेटेड वर्ज़न छिपा होता है, जो अक्सर उन सांसारिक या चुनौतीपूर्ण पहलुओं को किनारे कर देता है, जिन्हें हम सभी अनुभव करते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य पर सोशल मीडिया के प्रभाव को पहचानना और इसके नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए कदम उठाना आवश्यक है। यदि आप खुद को सोशल मीडिया पर बहुत अधिक समय समर्पित करते हुए पाते हैं और उदासी, असंतोष, झुंझलाहट या अलगाव जैसी भावनाओं का अनुभव कर रहे हैं, जो आपकी भावनाओं को ठेस पहुँचाने से अधिक और कोई कार्य नहीं कर रहा है, तो अपने ऑनलाइन व्यवहार का पुनर्मूल्यांकन करना और अधिक संतुलित और स्वस्थ दृष्टिकोण के लिए प्रयास करना फायदेमंद हो सकता है। व्यक्तियों को चाहिए कि सोशल मीडिया की दुनिया को वास्तविक दुनिया से अलग ही रखें, उन्हें एक-दूसरे से भूलकर भी न मिलाएँ। यह आपके जीवन को संतुलित राह पर चलाने में मदद करेगा।

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#पीपीएम न्यूज़ #मध्य प्रदेश

सतना से भोपाल सिर्फ 2 घंटे में, मध्यप्रदेश के 7वें एयरपोर्ट बनेगा सतना

सतना :हवाई सफर के मामले में मध्य प्रदेश एक कदम और आगे बढ़ गया है यहां प्रदेश के 7वें एयरपोर्ट के रूप में सतना एयरपोर्ट तैयार हो गया है। जल्द ही सतना एयरपोर्ट से प्रदेश के प्रमुख शहरों को जोड़ने वाली उड़ानें शुरू होने जा रही हैं सांसद गणेश सिंह ने बताया कि सतना से भोपाल, जबलपुर, सिंगरौली आदि शहरों के लिए फ्लाइट्स शुरू होने वाली हैं एयरपोर्ट के उद्घाटन अवसर पर केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री और मुख्यमंत्री को भी सांसद गणेश सिंह ने आमंत्रित किया है बस तारीख तय होने का इंतजार किया जा रहा है।

1962 में बनी थी हवाई पट्टी, अब कर्मशियल एयरपोर्ट
गुरुवार को जिले के प्रशासनिक अधिकारियों के साथ सांसद गणेश सिंह ने एयरपोर्ट का निरीक्षण किया इस दौरान उन्होंने टर्मिनल बिल्डिंग के साथ वहां मौजूद सुविधाओं की जानकारी ली सांसद गणेश सिंह ने कहा,यह बहुत पुरानी हवाई पट्टी है, जो 1962 में बनी थी तब यहां पर कुछ निजी और सरकारी प्लेन उतरा करते थे लेकिन उस समय यहां एयरपोर्ट जैसी कोई सुविधा नहीं थी अब जब हमारे प्रधानमंत्री जी ने देश के 100 हवाई अड्डों को क्षेत्रीय उड़ान सेवा में शामिल किया, तो सतना को भी उसमें शामिल किया गया।

उड़ान भरेंगे 19 सीटर विमान
सांसद ने आगे कहा, ” हवाई पट्टी के नवीनीकरण के साथ पूरा एयरपोर्ट बनकर तैयार हो गया है फिलहाल यहां 19 सीटर वाले विमानों के लिए रनवे बनाया गया है। अब इसमें बड़े विमानों को चलाने के लिए भी हवाई पट्टी का निर्माण होगा जल्द ही इसका उद्घाटन होगा, जिसमें प्रदेश के मुख्यमंत्री जी और उड्डयन मंत्री भी शामिल होंगे फ्लाय ओला कंपनी से हमारी मीटिंग हो चुकी है और वह भी यहां फ्लाइट्स देने के लिए तैयार है जैसे ही उद्घाटन की तारीख शुरू हो जाएगी वैसे ही यहां से भोपाल, जबलपुर, रीवा आदि शहरों के लिए एयर टैक्सी चलेगी।

मध्यप्रदेश में एयरपोर्ट
मध्य प्रदेश में फिलहाल भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, इंदौर, खजुराहो और रीवा एयरपोर्ट चालू हैं वहीं सातवें एयरपोर्ट के रूप में सतना भी शुरू होगा गौरतलब है कि सतना एयरपोर्ट अथॉरिटी का स्टाफ भी यहां पहुंच चुका है, ये करीब 15 लोगों का स्टाफ है इसके अलावा फायर ब्रिगेड और सुरक्षा का अलग से स्टाफ यहां लगाया जा रहा है इस बीच यहां से संभावित उड़ानों का शेड्यूल भी जारी किया गया है।

सतना से भोपाल 2 घंटे में
फिलहाल सतना से भोपाल जाने में बाय रोड व ट्रेन 9 से 10 घंटे का वक्त लगता है वहीं एयर टैक्सी शुरू होती है तो 522 किमी का ये डिस्टेंस कवर करने में 2 से ढ़ाई घंटा लग सकता है दरअसल, फ्लाय ओला डॉट इन के मुताबिक रीवा से भोपाल एयरटैक्सी 2 से ढाई घंटे का वक्त लेती है। रीवा और सतना की दूरी काफी कम है। ऐसे में सतना से भोपाल भी लगभग इतना समय ही लग सकता है।

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