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टिमरनी और देवतालाब सीट पर भतीजे  परेशान कर रहे चाचा को

भोपाल। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने दो स्थानों पर भाजपा के दो दिग्गज नेताओं के सामने उनके ही परिवार के सदस्यों को चुनाव मैदान में उतार कर मुकाबले को रोचक बना दिया है। दोनों ही सीटों पर युवा भतीजों ने अनुभवी चाचाओं के लिए मुसबीत खड़ी कर दी है। ये दोनों सीटों मउगंज जिले की देवतालाब और हरदा जिले की टिमरनी विधानसभा सीटें है, जहां पर चाचाओं के सामने उनके भतीजे ही परेशानी खड़ी कर रहे हैं।
विधानसभा अध्यक्ष रहे गिरीश गौतम का जनप्रतिनिधि के रूप में जीतना भी बड़ी घटना से कम नहीं था। उन्होंने विंध्य के दिग्गज कांग्रेस नेता श्रीनिवास तिवारी को हराकर विधानसभा में प्रवेश किया था। इसके बाद उन्होंने राजनीति में मजबूत कदम रखा। वर्तमान विधानसभा के कार्यकाल में उन्हें भाजपा ने विधानसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी दी।

उनकी स्थिति भी जब अपने क्षेत्र में श्रीनिवास तिवारी की तरह मजबूत होती दिखी तो इस बार कांग्रेस ने बड़ा दांव खेला और उनके सामने उनके भतीजे देवतालाब सीट से उनके भतीजे पद्यमेश गौतम को मैदान में उतारक मुकाबले को कड़ा और रोचक बना दिया है। इन दिनों इस विधानसभा क्षेत्र में नारा गूंज रहा है कि चाचा सीट खाली करो, भतीजे की तैयारी करो। युवा पद्येश के समर्थन में कांग्रेस कार्यकर्ता इस नारे के साथ चार बार के विधायक गिरीश गौतम के खिलाफ मैदान में उतरे हैं।
गौरतलब है कि जिला पंचायत के चुनाव में  दो भाई पद्मेश और गिरीश गौतम के बेटे राहुल गौतम के बीच मुकाबला था। इसमें राहुल गौतम को हार नसीब हुई थी, जबकि पद्मेश को जीत हासिल हुई थी। अब राहुल के पिता गिरीश से मुकाबला पद्मेश का है। पद्मेश गौतम ने भाई राहुल गौतम को हराने के बाद चाचा को हराने की पूरी तैयारी बना रखी है।
आदिवासियों के मुद्दे पर चाचा को घेर रहा भतीजा

मकड़ाई राजघराने से संबंध रखने वाले चाचा और भतीजों के बीच टिमरनी विधानसभा में भी मुकाबला कड़ा है। पिछले चुनाव में भी दोनों ही आमने-सामने थे, मगर भतीजे को तब हार का सामना करना पड़ा था। इस बार भतीजा पूरी तैयारी के साथ मैदान में जीत के लिए उतरा है। अभिषेक शाह ने चाचा तीन बार के विधायक चाचा संजय शाह पर अभी से आदिवासियों के मुद्दे पर घेरने शुरू कर दिया है। आदिवासियों को लेकर संजय शाह को वे अपशब्दों का प्रयोग करने को लेकर घेर रहे हैं। इस बार भी क्षेत्र का युवा कार्यकर्ता अभिजीत शाह के साथ चाचा संजय शाह के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। पिछली बार चाचा और भतीजे के बीच नजदीकी मुकाबला हुआ था। इस बार यह देखना दिलचस्प होगा कि मतदाता किसे और कितने वोटों के अंतर से चुनते हैं। 2018 में भतीजे को केवल 2213 मतों से हार मिली थी।

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