बीजेपी का वोट कटेगी या कांग्रेस में जाने वाले वोट रोकेगी जनहित पार्टी -चलेगा ३ दिसंबर को पता
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डॉ. संतोष पाटीदार
इन्दौर। विधानसभा चुनाव के परिणाम की प्रतीक्षा में सबकी धड़कने अब और बढ़ जाएगी ।क्यों कि अब बारी एग्जिट पोल की आ गई है । एग्जिट पोल में भी बहुत संभव है बीजेपी , काग्रेस और स्वतंत्र प्रत्याशियों की राजनीती निर्णायक हो। क्योंकि निर्दलीय और छोटे दल कई विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस और भाजपा के लिए मुसीबत बन गए। सबसे ज्यादा जिज्ञासा नवगठित जनहित पार्टी को लेकर है जो भाजपा के दिग्गज नेताओं के सामने अपने प्रत्याशियों को लेकर आई। इसमें एक सीट विधानसभा एक के बीजेपी प्रत्याशी कैलाश विजयवर्गीय की है। जिनके सामने जनहित पार्टी के मुखिया आरएसएस के पूर्व प्रचारक अभय जैन हैं तो क्षेत्र क्रामंक 5 में महेन्द्र हार्डिया के सामने सुभाष बारोड मैदान में है । यह जनहित पार्टी भाजपा को कितना नुकसान पहुंचाएगी और कांग्रेस का कितना फायदा इससे होगा या भाजपा के वोट काटने के बाद भी भाजपा फायदे में रहेगी और कांग्रेस को कोई बढ़त नहीं मिल पाएगी ऐसी उलझी हुई राजनीति भी जनहित पार्टी के साथ जुड़ी है । जैसे निर्दलीय या बाकियों के पीछे की राजनीति होती है ।
क्या कहते है एग्जिट पोल
मीडिया चैनल और विभिन्न सर्वेक्षण एजेंसी द्वारा शीघ्र ही एग्जिट फुल जारी किए जाएंगे। ऐसा माना जा रहा हकि दबाव प्रभाव वाले मीडिया समूह भारतीय जनता पार्टी को बहुमत बता रहे हैं तो वही कुछ कांग्रेस को सरकार बनाने की स्थिति में पा रहे हैं । तो वहीं कुछ एजेंसियां कांग्रेस और भाजपा में करीब का संघर्ष बता रहे हैं तो कुछ कांग्रेस का अपहरण भी बता रहे हैं। ज्यादा संभावना भाजपा के लिए भी दिखाई जा रही है जो बराबरी की स्थिति में जोड़-तोड़ कर सरकार बनाने में सक्षम साबित होगी। इस तरह के आंकड़ों के भ्रम जाल में दावे प्रतिदावे होते रहेंगे। मसलन एक राष्ट्रीय चैनल जो अभी सत्ता कारोबारियों के नियंत्रण में आया है यह चैनल भाजपा को 130 से ज्यादा सीट दिल रहा है तो वही एक अन्य चैनल 80 सीट का अनुमान लगा रहा है । इन सब के आधार में एक बड़ा फैक्टर छोटे-छोटे दलों और कांग्रेस भाजपा के भाग प्रत्याशियों का भी है यह किसका कितना कैसे नुकसान करते हैं इसे लेकर भी तरह-तरह के दावे और तर्क है ।
अब बात जमहित पाती की
एक अनुमान यह भी है कि इस तरह से निर्दलीय और छोटे दल मध्य प्रदेश के चुनावी राजनीति में निरर्थक ही साबित हो गए हैं। चाहे उमा भारती हो या माधवराव सिंधिया, ऐसे भाजपा और कांग्रेस से अलग अलग होकर बने दल कुछ ज्यादा नहीं कर सके। परिणाम को प्रभावित नहीं कर पाते हैं।
इस बार प्रदेश में आम आदमी पार्टी की तर्ज पर ही एक और नई पार्टी जनहित पार्टी का उदय हुआ है इसका संगठन आरएसएस से बाहर हुए प्रचार होने किया है और चुनाव में से उतारने में संघ भाजपा के ही एक बड़े वर्ग का सहयोग भी परोक्ष रूप से मिला है। ऐसा प्रतीत होता है। इस दल में आम आदमी पार्टी की तरह ही सारे प्रमुख लोग योग्य पेशेवर है जो उम्मीदवार पार्टी ने मैदान में उतारे उनमें चिकित्सक आईआईटी इंजीनियर और ईमानदार समाजसेवी है । बावजूद इसके जनहित पार्टी क्या भारतीय जनता पार्टी को मजबूती देने के लिए है ।क्या यह माना जाए कि संघ के स्वयंसेवकों द्वारा यह पार्टी बनाई गई है इसलिए यह पार्टी सीधे-सीधे भारतीय जनता पार्टी को नुकसान पहुंचा रही है। चाहे वह विधानसभा क्षेत्र एक में कैलाश विजयवर्गीय का चुनाव हो या विधानसभा क्षेत्र 5 में महिंद्रा हरदिया या अन्य प्रमुख विधानसभा क्षेत्र हो सब में जनहित पार्टी भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों के वोट काटेगी और उसका फायदा कांग्रेस को मिलेगा । ऐसी आम धारणा बनी हुई है। लेकिन यह भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस को फायदा नहीं हो इसके लिए जनहित पार्टी मैदान में है और बहुत संभव है कि यह संघ का या संघ के एक वर्ग का प्रयोग हो जो एक बेहतर राजनीतिक विकल्प के बारे में सोच रहा है लेकिन इसकी संभावना कम लगती है अभी तो यही सुनने में आता है कि एक सूक्ष्म रणनीति के तहत जनहित पार्टी को आगे लाया गया है।
इस चुनाव में यह स्पष्ट हो गया था कि भारतीय जनता पार्टी की सत्ता उसके मंत्रियों उनके विधायकों से गहरी नाराजगी बनी हुई है जो भाजपा की सत्ता को उखाड़ फेंक सकती है। इसलिए अपने ही संगठन और अपने ही संघ के और भाजपा के नाराज वोटरों के लिए एक नियंत्रक जरूरी हो गया था जो इस नाराज वोट को कांग्रेस में जाने से रोक सके।शायद इसी रणनीति के तहत जनहित पार्टी को समर्थन मिल रहा है। जनहित पार्टी पहले चुनाव लड़ा है इस पार्टी के बारे में यह भी कहा जा रहा है कि यह पार्टी भारतीय जनता पार्टी के वोट कटेगी या भाजपा उम्मीदवारों को महत्वपूर्ण और कांटे की टक्कर वाले क्षेत्र में अच्छा खासा नुकसान पहुंचा सकती है । इसकी वजह 20 साल के भारतीय जनता पार्टी के शासन और संघ के सत्ता प्रेम से नाराज स्वयंसेवक है। इसका बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
जानकार कहते हैं कि जनहित पार्टी निश्चित तौर पर भारतीय जनता पार्टी के वोट को काम करेगी लेकिन इसके बाद भी यह भाजपा के लिए वोटो के हिसाब से फायदेमंद है क्योंकि भाजपा से नाराज जनहित पार्टी के साथ जाएंगे।इससे यह फायदा होगा कि बीजेपी से दूर होने वाला वोट भले ही बीजेपी को नहीं मिले परंतु ऐसे वोट कांग्रेस को भी नहीं मिलेंगे क्योंकि भारतीय जनता पार्टी और संघ से जुड़ा नाराज वोटर कांग्रेस में जाता और कांग्रेस का वोट बढ़ता है और कांग्रेस की जीत की संभावना ज्यादा प्रबल होती लेकिन जनहित पार्टी के आने से ऐसा नाराजगी वाला वोट कांग्रेस तक नहीं पहुंच कर जनहित पार्टी में ही जज्ब हो जाएगा । भाजपा को चाहे छोटा नुकसान हो लेकिन फायदे में फिर भी वही रहेगी।