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मोहन यादव होगे प्रदेश के नए मुख्यमंत्री,जगदीश देवड़ा और राजेन्द्र शुक्ला बनेगे उपमुख्यमंत्री

रजनी खेतान

इंदौर।मध्यप्रदेश में भाजपा संगठन ने सोमवार को नए मुख्यमंत्री के रूप में मोहन यादव के नाम का ऐलान कर एक बार फिर राजनीतिक पंडितो को चौका दिया। ३ दिसंबर के रिजल्ट के बाद से लगातार मुख्यमंत्री पद के लिए चल रहे नामो के बीच उज्जैन दक्षिण से तीसरी बार विधायक चुने गए यादव का नाम सीएम पद के लिए दूर दूर तक चर्चा में नहीं था।यादव संघ से जुड़े हुए है और काफी समय तक संघ में सक्रिय रहे है। संघ से ही उन्हें भाजपा में भेजा गया था। मालवा निमाड़  से पहली बार भाजपा ने मुख्यमंत्री चुना है। वही मालवा से ही जगदीश देवड़ा को उपमुख्यमंत्री बनाया गया है।

गौरतलब है की विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद से लगातार राजनीतिक चर्चाओं में मुख्यमंत्री के रूप में सबसे प्रबल दावेदार शिवराज सिंह चौहान का नाम चल रहा था। उसके बाद भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, सांसद और केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल, नरेन्द्र सिंह तोमर, तथा ज्योतिरादित्य सिंधिया तथा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का भी नाम चला। चूंकि छत्तीसगढ़ में आदिवासी नेता विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री बनाया गया, तब से यह चर्चा प्रदेश में तेजी से चल रही थी कि मध्यप्रदेश में किसी पिछड़े वर्ग से आने वाले नेता को ही मुख्यमंत्री घोषित किया जाएगा।इसके बाद मुख्यमंत्री के नामो पर शिवराज सिंह चौहान,प्रहलाद पटेल और ज्योतिरादित्य सिंधिया के नाम एक बार फिर जोरशोर से चर्चाओं में आए। राजनीतिक पंडित तो लगभग प्रहलाद पटेल को मुख्यमंत्री के रूप में घोषित कर चुके थे। कहा जा रहा है कि इस नाम पर सहमति नहीं बन पायी क्योंकि उमा भारती ने भाजपा से विद्रोह कर अपनी अलग पार्टी बनाई तो उसमे उनके साथ कंधा से कंधा मिलकर साथ देने वाले में प्रहलाद पटेल सबसे अव्वल नेता थे। शिवराज सिंह के मुख्यमंत्री बनाने के बाद उनके कार्यकाल में उठे डम्फर घोटाले को कोर्ट तक ले जाने वाले पटेल ही थे। उसके बाद से जो राजनीतिक खाई दोनों नेताओं के बीच बनी वह भले ही उपरी रूप से पटी दिखती हो लेकिन उसकी दिली कसक आज भी कायम है।वही पटेल के रास्ते में बुंदेलखंड के नेता भी रोड़ा थे। यही वजह है कि वे एक दिन पहले ही दमोह का दौरा करके आए थे।

सियासी गणित न तो अंको की तरह है और न ही कोई ज्यामिति। जहां रेखाओं का फलन निकाल कर उसका उत्तर दिया जा सके। राजनीति संभावनाओं के भविष्य और किस्मत के तराजू का खेल है।सारे चर्चित नाम सिर्फ चर्चा में ही रहे और वास्तविकता की धरातल में महज तीन बार के विधायक मोहन यादव प्रदेश की सत्ता के सरताज बन गए। जबकि विधानसभा चुनाव के समय जिन तत्कालीन भाजपा सरकार के मंत्रियो के हारने की संभावना जताई जा  रही थी उसमे उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव का नाम भी लिया जा रहा था। यही नहीं विधानसभा चुनाव के ऐन समय पर उज्जैन में उनकी जमीन का मामला भी उछाला गया था। जिसे सिहंस्थ क्षेत्र से बाहर करने का था। तब तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बयान दिया था कि सिहंस्थ क्षेत्र में आने वाली कोई जमीन बाहर नहीं होगी।

मोहन यादव का सार्वजनिक एवं राजनीतिक जीवन
सन् 1982 में माधव विज्ञान महाविद्यालय छात्रसंघ के सह-सचिव एवं 1984 में अध्यक्ष। सन् 1984 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद उज्जैन के नगर मंत्री एवं 1986 में विभाग प्रमुख, सन् 1988 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद मध्यप्रदेश के प्रदेश सहमंत्री एवं राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य और 1989-90 में परिषद की प्रदेश इकाई के प्रदेश मंत्री तथा सन् 1991-92 में परिषद के राष्ट्रीय मंत्री। सन् 1993-95 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, उज्जैन नगर के सह खण्ड कार्यवाह, सायं भाग नगर कार्यवाह एवं 1996 में खण्ड कार्यवाह और नगर कार्यवाह। सन् 1997 में भा।ज।यु।मो। की प्रदेश कार्य समिति के सदस्य, सन् 1998 में पश्चिम रेलवे बोर्ड की सलाहकार समिति के सदस्य, सन् 1999 में भा।ज।यु।मो। के उज्जैन संभाग प्रभारी। सन् 2000-2003 में विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन की कार्य परिषद के सदस्य सन् 2000-2003 में भा।ज।पा। के नगर जिला महामंत्री एवं सन् 2004 में भा।ज।पा। की प्रदेश कार्य समिति के सदस्य, सन् 2004 में सिंहस्थ, मध्यप्रदेश की केन्द्रीय समिति के सदस्य, सन् 2004-2010 में उज्जैन विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष (राज्य मंत्री दर्जा) सन् 2008 से भारत स्काउट एण्ड गाइड के जिलाध्यक्ष, सन् 2011-2013 में मध्यप्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम, भोपाल के अध्यक्ष (केबिनेट मंत्री दर्जा)। भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य, सन् 2013-2016 में भाजपा के अखिल भारतीय सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के सह-संयोजक, उज्जैन के समग्र विकास हेतु अप्रवासी भारतीय संगठन शिकागो (अमेरिका) द्वारा महात्मा गांधी पुरस्कार और इस्कॉन इंटरनेशनल फाउंडेशन द्वारा सम्मानित। मध्यप्रदेश में पर्यटन के निरंतर विकास हेतु सन् 2011-2012 एवं 2012-2013 में राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत। सन् 2013 में चौदहवीं विधान सभा के सदस्य निर्वाचित।सन् 2018 में दूसरी बार विधान सभा सदस्य निर्वाचित। दिनांक 2 जुलाई, 2020 को मंत्री पद की शपथ।

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