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अल्लाह की बनाई मशीन को क़ुरान से चलाना आसान

बयान में अल्लाह के हुक्म की पाबंदी पर ज़ोर

राजधानी में मज़हबी समागम की चहल पहल


नईम कुरैशी

भोपाल।शनिवार को आलमी तबलीगी इज्तिमा का दूसरा दिन भी उलेमाओं के बयान और तकरीर से शुरू हुआ। सुबह फजिर की नमाज़ के बाद मौलाना इलियास साहब ने अल्लाह और इंसान की मिसाल एक कारीगर और मशीन से करते हुए अपनी बात आगे बढ़ाई। मौलाना ने कहा कि जिस तरह कोई मशीन बनाई जाती है तो उसके इस्तेमाल के लिए एक बुकलेट तैयार की जाती है। इस बुकलेट में बताए गए तरीकों से मशीन को चलाना आसान होता है। इसी तरह अल्लाह ने इंसान को बनाया और उसके व्यवस्थित संचालन के लिए कुरआन भी दिया। कुरआन में बताए गए तरीके से चलने पर इंसान रूपी मशीन कामयाब और इसके इतर चलने पर इसमें खराबी आना लाजमी है।

मौलाना इलियास ने कहा कि आज का इंसान अल्लाह के खजानों से फायदा उठाने वाला नहीं है। वह अगर अल्लाह के तरीकों, कुरआन की सीख और नबी के बताए रास्तों पर चलने का नियम बना ले तो वह दुनिया में भी कामयाब होगा और आखिरत में भी उसके लिए आसानियां होंगी। आलमी तबलीगी इज्तिमा के दूसरे दिन इज्तिमागाह पर पिछले दिन से बढ़ी हुई तादाद दिखाई दी। देश दुनिया से आई जमातों में शामिल लोग हाथ में तस्बीह और जुबां पर अल्लाह का जिक्र लिए दिखाई दे रहे हैं। उनकी सुबह नमाज के साथ होती है और रात भी इसी के साथ पूरी हो रही है। सारा दिन बयान और तकरीर के बीच सीखने सिखाने का दौर भी जारी है। बड़ी तादाद में पहुंचे बुजुर्ग, जवान और बच्चे अलग अलग तालिमी खेमों में बेहतरी की बातें सीख रहे हैं।

दुनिया भर से आए हैं मेहमान

आलमी तबलीगी इज्तिमा में बड़ी तादाद में विदेशी जमातें भी पहुंची हैं। करीब 300 से ज्यादा विदेशी मेहमानों में किर्गिस्तान, मलेशिया, बांग्लादेश, इथोपिया, बर्मा (म्यांमार), श्रीलंका, सउदी अरब, कंबोडिया, इंग्लैंड, साउथ अफ्रीका, सीर्रा लोन, फ्रांस, जॉर्जिया, तुर्की, आयरलैंड, जॉर्डन, ऑस्ट्रेलिया, थाईलैंड,ट्यूनिशिया, इजिप्ट आदि देशों के लोग शामिल हैं।

इज्तिमा दुआ से पहले कुछ और विदेशी जमातों के पहुंचने की उम्मीद की जा रही है। इज्तिमा प्रबंधन ने विदेशी मेहमानों के ठहरने के इंतजाम अलग से किए हैं। इन खेमों में ट्रांसलेटर भी मौजूद हैं, जो उलेमाओं के बयान को इन अलग अलग देशों के लोगों को उनकी भाषा में अनुवाद करके बताते हैं।

ज़मीन के नीचे और आसमान के ऊपर की बात

आलमी तबलीगी इज्तिमा के दौरान होने वाली तकरीरों में तबलीग के छह सूत्रों पर ही बात की जाती है। कहा जाता है यहां होने वाली तकरीरों में सिर्फ मौत के बाद जमीन के नीचे (कब्र) की बात की जाती है या फिर आखिरत के हिसाब के लिए होने वाली आसमान के ऊपर की जिंदगी पर चर्चा होती है। दुनिया के मसलों, सामाजिक या राजनीतिक बातों के लिए यहां कोई स्थान नहीं होता।

उलेमाओं ने कहा दीन का रास्ता ही सच्चा

जौहर की नमाज के बाद हुए बयान में कहा गया कि दीन का रास्ता सच्चा है, बाकी सब गुमराह करने वाले हैं। दुनिया में जिंदगी बिताने का हर तरीका इस्लाम ने सिखाया है, लेकिन इस रास्ते से लोग भटक रहे हैं। जिंदगी बिताने का कुरान का बताया रास्ता ही जिंदगी की कामयाबी की सीढी है, इससे ही आखिरत की जिंदगी संवर पाएगी।

अब नहीं आएगा कोई पैगंबर

असीर की नमाज के बाद मुख्तसिर बात करते हुए मौलाना इलियास साहब ने कहा कि इस्लाम में कई पैगंबर आए और उन्होंने दीन की बात लोगों तक पहुंचाई। हजरत मोहम्मद सअ के बाद ये सिलसिला बंद हो गया है। लेकिन इस्लाम की अच्छी बातों को लोगों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी अब आपके हमारे जिम्मे है। जमातों, मुलाकातों और इज्तिमा के जरिए इसी बात की मेहनत की जा रही है। नबियों के इस काम को करने में आने वाली मुश्किलों से घबराने की बजाए हमें उन तकलीफों का ख्याल करना चाहिए, जो हमसे पहले नबियों ने इस्लाम के लिए उठाई हैं।

अच्छी बात सब तक पहुंचाना भी ईमान का हिस्सा

मगरिब की नमाज के बाद मौलाना मोहम्मद सआद साहब कंधालवी की तकरीर हुई। बड़े मजमे को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हमारे पास जो बेहतर है, वह लोगों तक पहुंचे और उसको भी इससे फैज हासिल हो, इससे बड़ी बात क्या हो सकती है। हमें कोशिश करना चाहिए कि भलाई की बात, बेहतरी की बात और किसी के काम आने वाले नुस्खे खुद के पास महदूद रखने की बजाए इसको आगे बढ़ाकर इसमें इजाफा करें। सआद साहब ने कहा कि अब दौर आसान हो चुका है, नए दौर की टेक्नोलॉजी बेहतरी को फैलाने में मददगार हो सकती है। उन्होंने लोगों से अच्छे अखलाक, किसी का दिल न दुखाने और सबके लिए बेहतरी के काम करते रहने की ताकीद भी की।

अगर कुछ गुम हो जाए

इज्तिमागाह पर मौजूद बड़े मजमे में लोगों के सामान की गुमशुदगी के हालात भी बन रहे हैं। जिसको व्यवस्थित करने के लिए यहां 7 केंद्र स्थापित किए गए हैं। गुमशुदा सामान केंद्रों पर अब तक डेढ़ सौ से ज्यादा लोगों का सामान पहुंचा है, जिनको तस्दीक के बाद इनके वास्तविक मालिकों को सौंप दिया गया। इन केंद्रों के व्यवस्थापक ने बताया कि इस व्यवस्था को दुरुस्त रखने के लिए करीब 1500 वालेंटियर्स तैनात किए गए हैं, जो पूरे क्षेत्र में सतत निगरानी रख रहे हैं। उन्होंने बताया कि अब तक मिलने वाले सामानों में सबसे ज्यादा मोबाइल फोन और घड़ियां हैं, जिन्हें लोग वजू खाना और बॉथरूम या टॉयलेट के आसपास भूल गए थे। इसके अलावा कई लोगों के पर्स और नगद राशि भी निगरानी करने वालों को मिली, जिन्हें उचित तफ्तीश कर उनके असल मालिकों तक पहुंचा दिया गया है।

इज्तिमा से जुड़ी खास चीजें, जो साल में एक बार ही होती हैं
आलमी तबलीगी इज्तिमा मजहबी तकरीरों, बेहतरी की बातों, नमाज और इबादत के साथ आपस में जुड़ने के अलावा कुछ और यादें भी छोड़कर जाता है। ये खास बातें आमतौर पर सालभर में एक बार ही देखने को मिलती हैं।

ट्रैफिक कंट्रोल और पार्किंग व्यवस्था

शहर की बिगड़ैल यातायात व्यवस्था को सुधारने के लिए पुलिस का बड़ा अमला भी असफल साबित हो चुका है। कलेक्टर को खुद इसकी फिक्र में सड़क पर उतरना पड़ रहा है। ऐसे में लाखों लोगों की मौजूदगी वाले मजमे के दौरान चंद वोलेंटियर पूरी तरह व्यवस्थित आवाजाही बरकरार रखते हैं। इसी तरह इज्तिमा में शामिल होने वाले बड़े छोटे वाहनों की पार्किंग और समापन के बाद इनकी सुगम वापसी भी सराहनीय है। आमतौर पर कोई छोटा जमावड़ा होने पर भी वाहनों की रेलमपेल से पूरा शहर अस्त व्यस्त दिखाई देने लगता है।

एक इलाज काढ़ा

इज्तिमागाह और शहर के कई स्थानों पर जमातियों को इलाज मुहैया कराने एलोपैथिक, आयुर्वैदिक, होम्योपैथिक और यूनानी चिकित्सा के कैंप लगाए गए हैं। इनमें शामिल यूनानी चिकित्सा द्वारा तैयार किया जाने वाला काढ़ा एक खास असर लिए होता है। आम दिनों में तैयार किए जाने वाले काढ़े से अलग ये होता है कि इसमें कई अतिरिक्त और प्रभारी दवाओं और जड़ी बूटियों का मिश्रण सिर्फ इज्तिमा के दौरान ही किया जाता है। 4 दिन के आयोजन में हजारों खुराक लोग गटक जाते हैं और अपने साथ इसको ले जाने की ललक भी नहीं छोड़ पाते हैं।

एक स्वाद

खानपान के शौकीन नवाबों के इस शहर भोपाल में वैसे तो हर दिन चटोरेपन के लिए कई आइटम्स मौजूद होते हैं। लेकिन इज्तिमा आयोजन के दौरान कई ऐसे आइटम्स भी होते हैं, जो सिर्फ इस अवधि में ही मिल पाते हैं। इनमें हलवा मांडा और सोहन हलवा खास है। जबकि मुंबई की खास मिठाई कही जाने वाली अफलातून भी लोगों को इस सीजन में ही खाने को मिल पाती है।

एक यादगार

आलमी तबलीगी इज्तिमा जिस दौर में ताजुल मसाजिद में हुआ करता था, उसी दौर से इस परिसर में एक मेला लगने की परंपरा रही है। गर्म कपड़े के लिए सारे प्रदेश में मशहूर ये बाजार अब भी ताजुल मसाजिद में लगता है। दुआ के बाद शुरू होने वाला ये खास बाजार करीब दो माह चलता है। इस बाजार में बिकने वाले मुरादाबादी बर्तन भी आम दिनों में मिलना मुश्किल होते हैं। साथ ही यूपी हैंडलूम के विभिन्न उत्पाद भी इस बाजार की खासियत होते हैं।

अक़ीदत के सजदों से सजा इज्तिमागाह, सादगी से हुए सैंकड़ों निकाह

झलकियां

● शनिवार और रविवार की छुट्टी की वजह से इज्तिमागाह में हुजूम बढ़ने लगा है। सुबह से पहुंच रही सैकड़ों जमातें सोमवार को होने वाली दुआ तक मौजूद रहेंगे।

● पुराने शहर के अधिकांश इलाकों में बंद जैसे पड़े बाजार, सन्नाटे के हालात।

● ताजुल मसजिद परिसर में लगने वाले कपड़ा मार्केट ने आकार लेना शुरू किया। 12 दिसंबर से शुरू होकर करीब दो माह तक जारी रहेगा।

● स्थानीय लोग भी व्यक्तिगत रूप से और जमात की शक्ल में इज्तिमागाह पहुंच रहे हैं।

● हमीदिया रोड, भोपाल टाकीज, सिंधी कॉलोनी, काजी कैंप, करोंद चौराहे से लेकर कई मार्गों पर टोपी लगाए जमाती ही दिखाए दे रहे हैं।

● सारे रास्तों पर पुलिस की बड़ी मौजूदगी। उनके सहयोग में जुटे हुए हैं हजारों वालेंटियर।

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